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कैसे कहें तुम्हें!




दिल की थोड़ी मजबूरी है, 
बातें जो अधूरी है,
करनी है पूरी, उन्हें!

दिल की थोड़ी मजबूरी है
तू मुझको बहुत जरूरी है
कैसे कहें तुम्हें?

बाकी सब ख्यालात हैं
कहने भर की बात हैं
समझों ना,  तुम जरा

ऐसे हुए हालात हैं
पिघले मेरे जज्बात हैं
समझों ना, तुम जरा!

मेरा जर्रा-जर्रा है तेरा
क्या काफी नही है इतना?
मैं टुकड़ा-टुकड़ा सब तेरा
क्या बाकी कहीं है मिटना?

ये गुनाह, बेकुसुरी है
इश्क़ तेरा मुझे फितूरी है
कैसे कहूँ, इन्हें?

दिल की थोड़ी मजबूरी है
तू मुझको बहुत जरूरी है
कैसे कहें तुम्हें?



#MJ
©मनोज कुमार "MJ"

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5 Comments

Shaba

06-Jun-2021 08:51 PM

हम कह देते हैं, "बहुत खूब!"

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Aliya khan

06-Jun-2021 08:40 AM

Bahut khoob

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Thanks jii

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Ravi Goyal

06-Jun-2021 08:39 AM

बहुत सुंदर रचना 👌👌

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Thanks

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